Bihar Liquor News – बिहार में शराबबंदी को लेकर एक बार फिर बड़ा फैसला सामने आया है, जिसने पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है। चुनाव से पहले सरकार ने संकेत दिया है कि शराब नीति में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं और सीमित स्तर पर शराब की बिक्री को फिर से शुरू करने पर विचार चल रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में कई मंत्रियों और अधिकारियों ने इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा की। उनका मानना है कि पूर्ण शराबबंदी से अवैध कारोबार बढ़ा है, जिससे न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ीं बल्कि राजस्व का भी भारी नुकसान हुआ। अब सरकार नई नीति लाने की तैयारी में है, जिसके तहत कुछ विशेष स्थानों पर शराब की अनुमति दी जा सकती है, जैसे कि फाइव स्टार होटल, क्लब या टूरिस्ट जोन। इस खबर ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।

बिहार सरकार का बड़ा फैसला: शराब नीति में बदलाव की तैयारी
बिहार सरकार का यह नया निर्णय राज्य की सामाजिक और आर्थिक दिशा को काफी प्रभावित कर सकता है। अब तक पूर्ण शराबबंदी के कारण हजारों लोग मामूली मामलों में जेलों में बंद हैं और पुलिस-प्रशासन पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। सरकार का तर्क है कि शराब की सीमित बिक्री की अनुमति देने से न केवल अवैध कारोबार पर अंकुश लगेगा बल्कि इससे सरकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। इस कदम के पीछे सरकार की यह मंशा भी है कि टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा दिया जा सके। नए नियमों के अनुसार शराब केवल उन्हीं स्थानों पर बेची जाएगी जहां डिजिटल निगरानी की सुविधा हो। इस बदलाव से बिहार के उद्योग, पर्यटन और वित्तीय स्थिति में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।
नए नियम-कानून: किन्हें मिलेगी शराब की अनुमति
सरकारी सूत्रों के अनुसार, नया नियम बहुत सख्त और पारदर्शी होगा। केवल लाइसेंस प्राप्त होटल, क्लब और एयरपोर्ट जोन में शराब की बिक्री की अनुमति दी जाएगी। ग्राहकों को वैध डिजिटल आईडी दिखानी होगी और 21 वर्ष से कम उम्र वालों को शराब नहीं दी जाएगी। शराब खरीदने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन मॉनिटर किया जाएगा ताकि दुरुपयोग को रोका जा सके। साथ ही, शराब की अवैध बिक्री, तस्करी और घर में भंडारण पर पहले की तरह ही कठोर सजा का प्रावधान रहेगा। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि ग्रामीण और संवेदनशील क्षेत्रों में शराब की कोई गतिविधि न हो।
विपक्षी दलों और जनता की प्रतिक्रिया
बिहार में विपक्षी दलों ने इस फैसले को चुनावी चाल बताया है। आरजेडी और कांग्रेस जैसे दलों का कहना है कि सरकार चुनाव से पहले जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है और यह कदम समाज को गलत दिशा में ले जा सकता है। वहीं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यापारिक संगठनों ने इस नीति का समर्थन किया है। उनका कहना है कि अवैध शराब के कारण राज्य में लोगों की जान जा रही थी, इसलिए नियंत्रित तरीके से इसकी अनुमति देना एक व्यावहारिक कदम है।
चुनाव पर प्रभाव और आने वाले दिनों की स्थिति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। सरकार जहां इसे आर्थिक सुधार और सामाजिक नियंत्रण का प्रयास बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा कहकर जनता के बीच भुना रहा है। ग्रामीण इलाकों में विरोध की संभावना है, जबकि शहरी युवाओं के बीच इसे सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है। यदि यह नीति लागू होती है, तो यह न केवल बिहार की अर्थव्यवस्था को नया रास्ता देगी बल्कि देशभर में शराब नीति को लेकर एक नई बहस भी शुरू करेगी।
