UP Old Pension Scheme – यूपी सरकार का बड़ा ऐलान: पुरानी पेंशन योजना बहाल होने की दिशा में कदमों से लाखों कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। लंबे समय से उठ रही मांगों और कर्मचारी संगठनों की लगातार पहल के बीच सरकार ने विस्तृत रोडमैप पर काम तेज किया है, ताकि सेवा-नियम, पात्रता और बजटीय व्यवस्थाओं को स्पष्ट किया जा सके। प्रारंभिक संकेतों के अनुसार, प्राथमिकता उन कर्मचारियों की श्रेणियों को दी जा सकती है जिनकी नियुक्ति या प्रशिक्षण तिथि नई पेंशन व्यवस्था लागू होने से पहले की है। सरकार ने संबंधित विभागों से डेटा-तथ्य, सेवा पुस्तिकाएं और योगदान विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया भी सक्रिय कर दी है, ताकि किसी भी संभावित संक्रमण के दौरान कर्मियों को अनावश्यक देरी का सामना न करना पड़े।

पात्रता मानदंड और संभावित लाभ: किसे मिलेगा पुरानी पेंशन का कवच
पुरानी पेंशन योजना की बहाली के संभावित ढांचे में सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न पात्रता का है। संकेत मिलते हैं कि नियमित राज्य कर्मचारियों, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व और प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत कर्मियों के लिए प्राथमिकता तय हो सकती है, बशर्ते उनकी नियुक्ति/प्रशिक्षण तिथि निर्धारित कट-ऑफ तारीख से पहले हो। सेवा पुस्तिका में दर्ज निरंतर सेवा, संवर्ग और पद की प्रकृति भी आकलन का आधार बनेगी। नियमावली में ‘क्वालिफाइंग सर्विस’ की न्यूनतम अवधि, अवकाश, डिप्लॉयमेंट और प्रोबेशन से जुड़ी शर्तें स्पष्ट होंगी, ताकि पेंशन गणना में पारदर्शिता बनी रहे। लाभ के रूप में, अंतिम वेतन के एक निश्चित प्रतिशत पर आजीवन सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन, और महंगाई राहत जैसी सुविधाएं शामिल रहने की संभावना है।
आवेदन प्रक्रिया, विकल्प-प्रपत्र और आवश्यक दस्तावेज: चरणबद्ध तरीका
अंतिम अधिसूचना के साथ एक स्पष्ट, चरणबद्ध प्रक्रिया जारी की जाएगी ताकि हर कर्मचारी बिना मध्यस्थ के आसानी से आवेदन कर सके। सामान्यतः, कर्मचारी को विभागीय पोर्टल/HRMS पर लॉगिन कर ‘विकल्प-प्रपत्र’ भरना होगा, जिसमें नियुक्ति तिथि, सेवा विवरण और वर्तमान अंशदान की स्थिति प्रदर्शित रहेगी। सेवा पुस्तिका की प्रमाणित प्रतियां, पहचान-पत्र, बैंक विवरण, और यदि लागू हो तो नई पेंशन व्यवस्था (NPS) के स्टेटमेंट अपलोड करने होंगे। विभागीय वेरीफिकेशन के बाद, मामलों को पेंशन निदेशालय भेजा जाएगा, जहां पात्रता, कट-ऑफ, और क्वालिफाइंग सर्विस की पुष्टि की जाएगी।
बजटीय प्रभाव, समयसीमा और पारदर्शिता: राज्य की तैयारी कैसी होगी
पुरानी पेंशन योजना की वापसी का सीधा असर राज्य के बजट पर पड़ता है, इसलिए वित्त विभाग चरणबद्ध लागूकरण, जन-बल प्रोफाइलिंग और एक्चुरियल आकलन जैसे उपायों पर काम करेगा। लक्षित समूहों की पहचान के बाद, संभावित देनदारियों का दीर्घकालिक अनुमान तैयार होगा, जिससे राजकोषीय अनुशासन बना रहे और कर्मचारियों को समय पर पेंशन सुनिश्चित हो। पारदर्शिता के लिए सरकार सभी नियम, नमूना-गणना और उदाहरण केस स्टडी सार्वजनिक करेगी, ताकि हर कर्मचारी अपनी पात्रता और संभावित पेंशन का आकलन स्वयं कर सके।
कर्मचारियों के लिए अभी के जरूरी कदम: तैयारी कैसे करें
जब तक अंतिम नियम/अधिसूचना जारी न हो, कर्मचारियों के लिए सर्वोत्तम रणनीति है—दस्तावेजों को दुरुस्त करना और रिकॉर्ड अपडेट रखना। अपनी सेवा पुस्तिका, नियुक्ति/प्रशिक्षण की तिथियां, वेतन-फिक्सेशन आदेश, प्रोमोशन/इन्क्रिमेंट रिकॉर्ड, छुट्टी/डेप्यूटेशन प्रविष्टियां, और बैंक व आधार विवरण मिलान कर लें। नई पेंशन व्यवस्था के तहत किए गए अंशदान के स्टेटमेंट और PRAN विवरण सुरक्षित रखें, क्योंकि समायोजन के समय ये महत्वपूर्ण होंगे। किसी भी ‘एजेंट’ या गैर-आधिकारिक दावे से बचें—सूचनाएं केवल विभागीय पोर्टलों और अधिकृत हेल्पडेस्क से लें।
क्या यह पेंशन योजना और किसी राज्य में भी लागू करनी चाहिए?
हां, दूसरे राज्यों में भी ऐसी योजनाएं लागू होनी चाहिए।
क्या पुरानी पेंशन योजना की बहाली सरकार के लिए राजनीतिक चुनावी धांधली है?
संभावना है, लेकिन कर्मचारियों के लिए अच्छा है।